ओउम् ।। वर दे, वीणावादिनि वर दे। प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव भारत में भर दे । काट अंध-उर के बंधन-स्तर बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर; कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर जगमग जग कर दे । नव गति, नव लय, ताल-छंद नव नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव; नव नभ के नव विहग-वृंद को नव पर, नव स्वर दे । वर दे, वीणावादिनि वर दे।। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 भारत में शिक्षा और ज्ञान की देवी के रूप में जानीं जानें वाली माता आप भारतीय शिक्षा व्यवस्था को जातीय उन्माद से मुक्त कर दो माँ, अर्थ के अभाव में बेहतर से बेहतर प्रतिभा दर दर की ठोकरे खाता सड़कों पर टहल रहा है.... और पैसे वाले डिग्रीयाँ खरीदकर खूद को अभिजात वर्ग में सम्मिलित कर बैठा है .....।। हे वागदेवी , वीणा वाली मैया बिना किसी भेदभाव के शिक्षा को जन जन तक पहुँचा दो माँ ...... क्या अमीर और क्या गरीब जो जितना भी पढ़ना लिखना चाहे बिना किसी रूकावट के वह पढ़ लिख ले माँ तब जाकर इस बसंत पंचमी की सार्थकता भारत भूमि पर पल्लवित और पुष्पित होगी माँ.... ✍ कुलदीप योगी