ओउम् ।। मानव_प्रकृति_की_सबसे_उत्कृष्ट_रचना_है । मानव_के_जीवन_के_दो_पहलू_होते_हैं - एक तो अच्छाई और दूसरी बुराई .... धरा का प्रत्येक जीव अपने कर्म, धर्म, आचार-विचार द्वारा इन दोनो पहलुओं से बंधा रहता है । मानव_द्वारा_की_जा_रही_प्रति_पल_की_गतिविधियां_ही_उसके अच्छेपन व बुरेपन की द्योतक_होती_हैं । यदि वह सत्कर्म_किया तो अच्छाई_का_प्रतीक , दुष्कर्म_किया तो बुराई_का_प्रतीक .... परम पिता परमेश्वर ने अच्छाई और बुराई दोनों को हमारे अन्तः_करण_के_अंदर_ही_छिपा_रखा_है, बस जरूरत है उन छिपी हुई शक्तियों_को_जागृत_करने_की, स्वयं_को_पहचानने_की , ईश्वरीय_शक्तियों_से_साक्षात्कार_करने_की ........ समस्त ईश्वरीय शक्तियाँ हमारे इस आलौकिक शरीर मंडल में आठ महा शक्ति केन्द्रों पर सुसुप्तावस्था में पड़ी हुई हैं । आठ_महाशक्ति_केन्द्र मूलाधार_चक्र स्वाधिष्ठान_चक्र मणिपुर_चक्र हृदय_चक्र विशुद्धिशंख_चक्र आज्ञा_चक्र मनश्च_चक्र सहस्त्रार_चक्र आज जरूरत है तो इन सभी शक्ति_पुंजों_को_जगाने की । पर #प्रश्न_ये_उठता_है_कि_एक_साधारण_व्यक्ति_इन_शक्त...