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Showing posts from March, 2019

होली : रग - रग में मानवीय मूल्यों का रंग

सादर ओउम् ।। आपको व आपके समूचे परिवार के साथ- साथ इस धरा के प्रत्येक जीव को रंगोत्सव  के पवित्र त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनायें। जिस प्रकार विविध प्रकार के रंग( लाल,पीला,नीला,काला,हरा,गुलाबी,सफेद) आपस में  मिलकर बिना किसी भेदभाव के अपने मूल स्वरूप को छोड़कर, एक दूसरे मे समाहित होकर सुन्दरतम् नवीन रंगो का निर्माण करते हैं, जिसके एक -एक बूँद से मानव तन सरोबार हो उठता है, और देखते ही देखते सब तरफ सुखद व खुशहाल माहौल नजर आने लगता  है , लोग एक दूसरे से गले मिलते , रंग लगाते इस पावन पर्व का भरपूर लुफ्त उठाते हैं ।   यदि अबोध, निर्जीव रंगो के आपस में समर्पण व सहयोग से इतना खुशनुमा माहौल बन जाता है, तो जरा सोचिए यदि यही समर्पण और सहयोग सुसुप्त जीवंत मानव में बस जाए तो कैसा माहौल होगा ........... जिधर नजर उठेगी ,उधर से ही मानवता , प्रेम, सहयोग ,करूणा, राष्ट्रभक्ति,  के रंगों से सरोबार लोग दिखेंगे... एक दिव्य  व अकल्पनीय खुशनुमा माहौल मूर्त रूप में हमारे सामने होगा .. 😇  आइए विकल्प रहित संकल्प लें .. .. समस्त मानवीय गुण...

"शिवत्व की करें अराधना"

ओउम् ।। शिवत्व की करें आराधना .. .. अर्थात शिव में स्थित तत्व को जानें और अपनें चित्त और चेतना के प्रवाह को उधर ही गति दें .....।। समस्त समष्टि  पृथ्वी,आकाश, जल,अग्नि और वायु जैसे पंचतत्तो का खूबसूरत सम्मिश्रण है जिन्हें हम जड़ तत्व की संज्ञा देते हैं....जब इन जड़ तत्वों में प्राणतत्व का समावेश होता है तब एक चेतन तत्व का प्रादुर्भाव होता है ...... इस प्रकार समस्त समष्टि जड़ और चेतन का एक विराट स्वरूप है जो संचालित होता है अदृश्य शक्ति,सत्ता अथवा ऊर्जा से जिन्हें धरा के भिन्न भिन्न भागों में अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार ईश्वर,ख़ुदा,गाँड और भगवान जैसे नामों से जानाँ जाता है ...... उनमें से ही एक नाम है "शिव" ....जो सूचक हैं उच्चतम कोटि की साधना का ....  सामान्यतः जब कोई व्यक्ति अपनी साधना को ऐसी उच्चतम स्थिति में पहुँचाता है जहाँ वह अतीन्द्रिय हो जाता है अर्थात जब उसकी शक्ति और सामर्थ्य उसके पाँचों इंद्रियों के पार हो जाती है तो व्यक्ति उस शिवत्व को जाननें की क्षमता प्राप्त कर लेता है जिससे इस सृष्टि का संचालन हो रहा है ..... भगवान शिव के रूप में आज जिसकी पूजा अर्चना ह...