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Showing posts from April, 2020

"मैं से माँ बनने तक का सफर" 🤱 (नारी तू नारायणी है....)

ओउम् ।।                  यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते                                 रमन्ते तत्र देवता प्रेम अंधा क्यूँ होता है ? शायद इसलिए कि माँ बिना हमारा चेहरा देखे ही हमसे अनन्य प्रेम करने लगती है , सही मायने में प्रेम की कोई परिभाषा है तो वो माँ है ... आज के ब्लाग में    मै से माँ बनने के खूबसूरत  व कठिनतम  सफर का जिक्र ... जो आपके अन्तर्मन को झकझोर कर रख देगा .... (इस ब्लाॅग को लिखते वक्त गला रुंध गया है,  आखों से आँसू स्वतः ही निकल जा रहे हैं ...  अन्तर्मन से बार बार आवाज आ रही है क्या हम वाकई मर्द है  .... ?  मातृशक्तियों के सानिध्य में प्रतिपल पल्लवित पुष्पित होने का सौभाग्य विरले ही मिलता है , यदि हमे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है तो जरूर यह हमारे पुण्य कर्मों  का प्रतिफल है  ..)    संतान उत्पत्ति के लिए क्या आवश्यक है. .? पुरुष का वीर्य और औरत का गर्भ !!! बस इतना ही 🤔 लेकिन रुकिए ... सिर्फ गर्भ ??? नहीं... नहीं...!!! एक ऐसा शरीर जो इस क्रिया के लिए तैयार हो। जबकि वीर्य के लिए 13 साल और 70 साल का वीर्य भी चलेगा। लेकिन गर्भाशय का मजबूत ...