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Showing posts from 2019

बन्धनो से स्वतंत्रता : स्वतंत्रता की रक्षा का पर्व (स्वतंत्रता दिवस + रक्षा बंधन)

स्वतंत्रता दिवस + रक्षाबंधन = बन्धनो से स्वतंत्रता की रक्षा का पर्व  आप सभी संभ्रांत प्रबुद्ध जनो को 15 अगस्त स्वंत्रता दिवस की 73 वी वर्षगांठ की व प्रेम एवं सौहार्द का प्रतीक पवित्र पर्व रक्षा बन्धन की हार्दिक शुभकामनायें ..... 19 वर्षों उपरान्त ऐसा शुभ संयोग बन रहा है जब स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन एक साथ मनाया जा रहा है .... यदि आप स्वतंत्रता दिवस व रक्षा बंधन की अमर गाथाओं से भलीभाँति परिचित हैं तो इस नूतन भारत के विनिर्माण में अपना अतुलनीय योगदान देने की कृपा अवश्य करें .... देश को आजाद हुए 7 दशक से भी ज्यादा समय बीत चुका है, तमाम युवा साथियों से एक गुजारिश है ... खुद से एक सवाल कीजिए कि ....... क्या हम वास्तव में आजाद हैं? क्या हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणो (सामाजिक,  आर्थिक,  राजनैतिक,  सांस्कृतिक,  चारित्रिक,  शैक्षिक,  मानसिक) से आजाद हैं ?  क्या हम आज तक सामाजिक भेदभाव से आजाद हो पाए ?  क्या हमारे विचार आजाद हैं?  क्या हमें अभिव्यक्ति की आजादी है ?  क्या हमें अपने स्वतंत्र निर्णय लेने की आजादी है ?...

पर्यावरण : अभिभावक से अतिथि तक का सफर

प्रकृति हमारी माँ है , माँ से  प्रेम करना और उसकी रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है । हमारे दादाओं- परदादाओं के समय पर्यावरण की भूमिका हमारे अभिभावक के रूप में थी ..परन्तु . आज हमारी कारस्तानियों की वजह से यह अतिथि की भूमिका में आ गया है .... एक वक्त वो था जब प्रकृति हमें सजाती और संवारती थी , एक वक्त आज का है . ...जहाँ  प्रकृति अपने स्वरूप व अस्तित्व  के लिए अपनी ही संतान(मानव) के  आगे  लाचार व बेबस पड़ गयी है ।   आइए एक साथ अपने आने वाले कल को सुरक्षित करे 🤝🤝🤝🤝🤝🤝🤝🤝🤝🤝🤝🤝 अपने आस पास साफ सफाई करके इस मुहिम का हिस्सा बनें ....... प्रकृति के साथ खेलने का नतीजा -:                                                                        एक बार   एक बकरी के पीछे शिकारी कुत्ते दौड़े। बकरी जान बचाकर अंगूरों की झाड़ी में घुस गयी।  कुत्ते आगे निकल गए। बकरी ने निश्चिंतापूर्वक...

होली : रग - रग में मानवीय मूल्यों का रंग

सादर ओउम् ।। आपको व आपके समूचे परिवार के साथ- साथ इस धरा के प्रत्येक जीव को रंगोत्सव  के पवित्र त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनायें। जिस प्रकार विविध प्रकार के रंग( लाल,पीला,नीला,काला,हरा,गुलाबी,सफेद) आपस में  मिलकर बिना किसी भेदभाव के अपने मूल स्वरूप को छोड़कर, एक दूसरे मे समाहित होकर सुन्दरतम् नवीन रंगो का निर्माण करते हैं, जिसके एक -एक बूँद से मानव तन सरोबार हो उठता है, और देखते ही देखते सब तरफ सुखद व खुशहाल माहौल नजर आने लगता  है , लोग एक दूसरे से गले मिलते , रंग लगाते इस पावन पर्व का भरपूर लुफ्त उठाते हैं ।   यदि अबोध, निर्जीव रंगो के आपस में समर्पण व सहयोग से इतना खुशनुमा माहौल बन जाता है, तो जरा सोचिए यदि यही समर्पण और सहयोग सुसुप्त जीवंत मानव में बस जाए तो कैसा माहौल होगा ........... जिधर नजर उठेगी ,उधर से ही मानवता , प्रेम, सहयोग ,करूणा, राष्ट्रभक्ति,  के रंगों से सरोबार लोग दिखेंगे... एक दिव्य  व अकल्पनीय खुशनुमा माहौल मूर्त रूप में हमारे सामने होगा .. 😇  आइए विकल्प रहित संकल्प लें .. .. समस्त मानवीय गुण...

"शिवत्व की करें अराधना"

ओउम् ।। शिवत्व की करें आराधना .. .. अर्थात शिव में स्थित तत्व को जानें और अपनें चित्त और चेतना के प्रवाह को उधर ही गति दें .....।। समस्त समष्टि  पृथ्वी,आकाश, जल,अग्नि और वायु जैसे पंचतत्तो का खूबसूरत सम्मिश्रण है जिन्हें हम जड़ तत्व की संज्ञा देते हैं....जब इन जड़ तत्वों में प्राणतत्व का समावेश होता है तब एक चेतन तत्व का प्रादुर्भाव होता है ...... इस प्रकार समस्त समष्टि जड़ और चेतन का एक विराट स्वरूप है जो संचालित होता है अदृश्य शक्ति,सत्ता अथवा ऊर्जा से जिन्हें धरा के भिन्न भिन्न भागों में अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार ईश्वर,ख़ुदा,गाँड और भगवान जैसे नामों से जानाँ जाता है ...... उनमें से ही एक नाम है "शिव" ....जो सूचक हैं उच्चतम कोटि की साधना का ....  सामान्यतः जब कोई व्यक्ति अपनी साधना को ऐसी उच्चतम स्थिति में पहुँचाता है जहाँ वह अतीन्द्रिय हो जाता है अर्थात जब उसकी शक्ति और सामर्थ्य उसके पाँचों इंद्रियों के पार हो जाती है तो व्यक्ति उस शिवत्व को जाननें की क्षमता प्राप्त कर लेता है जिससे इस सृष्टि का संचालन हो रहा है ..... भगवान शिव के रूप में आज जिसकी पूजा अर्चना ह...

विकल्प रहित संकल्प : देश सेवा प्रत्येक नागरिक का धर्म है ।

ओउम् ।। अश्रुपूर्ण नेत्रों से सादर श्रद्धांजलि ....   आज तक देश की सेवा में लगे हुए किसी भी शहादत पाये हुए सैनिकों में एक भी ऐसा सैनिक नहीं पायेंगे जिनकी आर्थिक और राजनैतिक हैसियत बहुत ऊँची रही हो .....बिड़लै ऐसा कोई परिवार होता होगा जिसके परिवार की आर्थिक स्थिति लगभग दस-बीस लाख रूपये की होती होगी ......सामान्य परिवारों के नौजवान ही अपने दिल और दिमाग में देशभक्ति का जज़्बा पाले हुए माँ भारती के लिए जिस विषम भौगोलिक परिस्थितियों में अपनें आपको रखते हैं वह जग-जाहिर है ....देश को सुरक्षित रखनें की जिम्मेदारी तो इनको दी जाती है लेकिन इन सैनिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा इसको आज तक की कोई भी सरकारें नहीं बता सकी है......आज तक की सरकारें जो अपनें सांसदों और विधायकों की सुख सुविधाओं के लिए काफी चौकन्ना रहती है और अधिकांश अपना हक मेज़ों को थपथपाकर ही ले लेती है कभी भी क्यों नहीं ऐसे नियम और कानून बना सकी कि राजनैतिक रसूलों वाले परिवारों से भी सैनिक बार्डर पर तैनात किये जायेंगे .....उद्योगों के नाम पर सामान्यतः सभी  उद्योगपतियों को सभी सरकारों ने उन पर हर संभव मेहरबानियाँ ...

देवालय : मानव शरीर

ओउम् ।। मानव_प्रकृति_की_सबसे_उत्कृष्ट_रचना_है । मानव_के_जीवन_के_दो_पहलू_होते_हैं - एक तो अच्छाई और दूसरी बुराई .... धरा का प्रत्येक जीव अपने कर्म, धर्म, आचार-विचार  द्वारा इन दोनो पहलुओं से  बंधा रहता है । मानव_द्वारा_की_जा_रही_प्रति_पल_की_गतिविधियां_ही_उसके अच्छेपन व बुरेपन की द्योतक_होती_हैं । यदि वह सत्कर्म_किया तो अच्छाई_का_प्रतीक , दुष्कर्म_किया तो बुराई_का_प्रतीक .... परम पिता परमेश्वर ने अच्छाई और बुराई दोनों को  हमारे  अन्तः_करण_के_अंदर_ही_छिपा_रखा_है,  बस जरूरत है उन छिपी हुई शक्तियों_को_जागृत_करने_की,  स्वयं_को_पहचानने_की , ईश्वरीय_शक्तियों_से_साक्षात्कार_करने_की ........ समस्त ईश्वरीय शक्तियाँ हमारे इस आलौकिक शरीर मंडल में आठ महा शक्ति केन्द्रों पर सुसुप्तावस्था में पड़ी हुई हैं । आठ_महाशक्ति_केन्द्र मूलाधार_चक्र स्वाधिष्ठान_चक्र मणिपुर_चक्र हृदय_चक्र विशुद्धिशंख_चक्र आज्ञा_चक्र मनश्च_चक्र सहस्त्रार_चक्र आज जरूरत है तो इन सभी शक्ति_पुंजों_को_जगाने की । पर #प्रश्न_ये_उठता_है_कि_एक_साधारण_व्यक्ति_इन_शक्त...

स्त्री हो तुम, ईश्वर की अद्भुत कृति हो तुम ।।

ओउम् ।। धरा की सम्पूर्ण मातृशक्तियों को सादर समर्पित है ... स्त्री हो तुम, ईश्वर की अनमोल कृति हो तुम  स्त्री तुम  पुरुष न हो पाओगी .... 🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️ ज्ञान की तलाश क्या सिर्फ बुद्ध को थी? क्या तुम नहीं पाना चाहती वो ज्ञान? किन्तु जा पाओगी, अपने पति परमेश्वर और नवजात शिशु को छोड़कर.... तुम तो उनपर जान लुटाओगी.... उनके लिये अपने भविष्य को दाँव पर लगाओगी... उनकी होठों की एक मुस्कुराहट के लिए अपनी सारी खुशियों की बलि चढ़ाओगी.... 🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️ स्त्री तुम पुरुष न हो पाओगी.... 🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️ क्या राम बन पाओगी???? क्या कर पाओगी अपने पति का परित्याग, उस गलती के लिए जो उसने की ही नहीं???? ले पाओगी उसकी अग्निपरीक्षा उसके नाज़ायज़ सम्बधों के लिए भी???? क्षमा कर दोगी उसकी गलतियों के लिए, हज़ार गम पीकर भी मुस्काओगी.... 🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️ स्त्री तुम पुरुष न हो पाओगी.... 🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️...

जागो भारत के वीर , अपने भारतीय संस्कृति को पहचानो...

ओउम् ।। ।।वन्दे मातरम् ।। भारत माता की जय ।। #कटाक्ष# ..... #टकला_क्यों_करवाया.....? पाश्चात्य संस्कृति की गुलामी से आजाद होने का वक्त आ गया ...... बात बहुत साल पहले की है ,एक आदमी अपने गाँव के सरपंच से मिलने गया। आदमी टकला किये हुए था , सरपंच ने पूछा, टकला क्यों करवाया? आदमी ने कहा अपना युसुफ मर गया है, सरपंच ने सोचा अपना युसुफ है, दूसरे दिन सरपंच ने भी टकला करा लिया और विधायक से मिलने चला गया , विधायक ने सरपंच से पूछा, टकला क्यों करवाया? सरपंच ने कहा अपना युसुफ मर गया, विधायक ने सोचा अपना युसुफ है, दूसरे दिन उसने भी टकला करा लिया और संसद मे गया ,सभी सांसदों ने विधायक से पूछा, टकला क्यों करवाया ? विधायक ने कहा अपना युसुफ मर गया , दूसरे दिन सभी सांसदों ने टकला करवा लिया और प्रधानमंत्री के पास गए प्रधानमंत्री ने पूछा, टकला क्यों करवाया ? सभी सांसदों ने कहा अपना युसुफ मर गया। प्रधानमंत्री ने कहा ये युसुब कौन हैं ? सांसदों ने विधायक से पूछा, विधायक ने सरपंच से पूछा, सरपंच ने गाँव के आदमी से पूछा और आदमी ने कहा युसुफ मेरा गधा था पर मैने उसे बेटे की तरह पाला था इसलिए टकल...